करोड़ों रुपए का अनाज एफसीआई गोदाम से गायब, एफ आई आर दर्ज

पुलिस के वरीय पदाधिकारियों के द्वारा गंभीरता से इस मामले की अनुसंधान की जा रही है।

करोड़ों रुपए का अनाज एफसीआई गोदाम से गायब, एफ आई आर दर्ज
विश्वनाथ प्रताप यादव की रिपोर्ट//अरवल-- जिला मुख्यालय में स्थित भारतीय खाद्य निगम गोदाम में भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा रक्षक ही भक्षक बन बैठे और करोड़ों रुपए का सरकारी अनाज गायब हो गया तो गरीबों को निवाला कैसे मिलेगा जिसके बाद नगर थाने में करोड़ों रुपए का खाद्यान्न गबन मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दरअसल मामला तब सामने आया जब गोदाम के सहायक प्रबंधक हरिशंकर सिंह अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने के उपरांत दुसरे अधिकारी को इसकी जिम्मेवारी सौंपने के लिए पहुंचे जैसे ही दुसरे अधिकारी को जिमेवारी देना चाहे लेकिन उससे पहले ही उसकी भौतिक सत्यापन अधिकारियों के द्वारा की गई।तब इतनी बड़ी गड़बड़ी देख उनकी पैर तले जमीन ही खिसक गई और इसकी सूचना जिला पदाधिकारी को दी गई तो उन्होंने चार सदस्यीय टीम गठित कर गोदाम की भौतिक सत्यता की जांच कराई गई जिसमें करोड़ों रुपए खाद्यान्न गबन का मामला सामने आया जिसके बाद जिला प्रबंधक अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव के द्वारा संविदा पर कार्यरत सहायक गोदाम प्रबंधक हरिशंकर सिंह के विरुद्ध नगर थाने में करोड़ों रुपए का अपराधिक साजिश के तहत सरकारी अनाज गबन का मामला दर्ज कराया गया है।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि आखिर जिले के कई गोदामों से दो-तीन सालों के अंदर लगभग 5000 गेहूं और चावल की बोरियां गायब हो गए? लेकिन जिले के एक भी पदाधिकारी को इसकी भनक तक न लगी।आखिर कहीं ना कहीं वरीय पदाधिकारी का सहयोग नहीं मिलता तो इतनी बड़ी रकम की सरकारी अनाज गोदाम हो सकती है जो गरीबों के लिए दो वक्त की भोजन है। और जिले के हजारो गरीब परिवार इसका लाभ लेने का काम कर रहे हैं।इस संबंध में अरवल एसपी मोहम्मद कासिम के द्वारा बताया गया कि अरवल थाना कांड संख्या 191/ 23 के तहत अपराधिक साजिश के तहत सरकारी अनाज गबन करने के मामले में हरिशंकर सिंह के विरुद्ध प्राथमिक दर्ज कराया गया है। शिकायतकर्ता जिला प्रबंधक अमरेंद्र कुमार श्रीवास्तव के अनुसार गोदाम से 3899 क्विंटल चावल और 5360 क्विंटल गेहूं जो कुल मिलाकर 9259 क्विंटल खाद्यान्न जिसका मूल्य दो करोड़ इक्कासी लाख नवासी हजार छः सौ पैतीस रुपए की सरकारी  अनाज के भ्रष्टाचार कर गरीबों के निवाला डकार लेने का काम किया गया और सरकार के राजस्व को भारी मात्रा में हानी पहुंचाई गई है। जिसको लेकर पुलिस के वरीय पदाधिकारियों के द्वारा गंभीरता से इस मामले की अनुसंधान की जा रही है और इस मामले में दोषी के अलावे और भी इस विभाग से जुड़े कई लोगों और पदाधिकारियों से पुलिस के द्वारा पूछताछ भी की जा रही है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में अनाजों की बोरियां कब और कैसे गोदाम से चोरी कर लिए गए और कौन-कौन लोग इस मामले में शामिल हैं और जल्द ही इस मामले का खुलासा भी कर दिया जाएगा।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि गोदाम का निरीक्षण संबंधित पदाधिकारियों के द्वारा समय-समय पर किए जाने के उपरांत भी इतनी बड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया तो कहीं ना कहीं वरीय पदाधिकारी का सहयोग नहीं मिलता तो इतनी बड़ी रकम की सरकारी अनाज जो गरीबों के लिए दो वक्त की भोजन है। और जिले के हजारो परिवार इसका लाभ लेने का काम कर रहे हैं जिसका गबन नहीं हो पाता। अक्सर यह शिकायत सुनने में आता है कि जन वितरण दुकानदार के द्वारा लाभुकों को कम राशन दिया जाता है लेकिन जिले के लोगों को आप समझ में आने लगा कि जब रक्षक ही भक्षक बन बैठे हैं तो गरीबों का निवाला उनके घर तक पुरा कैसे पहुंच पाएगा।लेकिन अब देखना यह होगा कि पुलिसिया कार्रवाई में कब तक भारतीय खाद्य निगम से जुड़े किन किन लोगों और पदाधिकारियों से पूछताछ करती है। और कौन-कौन लोग इस मामले में  संलिप्त पाए जाते हैं।

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