अरवल में भाकपा माले ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन।
अरवल( विश्वनाथ कुमार की रिपोर्ट)-भाकपा माले ने अरवल भगत सिंह चौक पर सरकार के विरोध किया प्रदर्शन जिसमें भाकपा माले के जिला महासचिव महानंद ने बताया कि कोरोना महामारी को लेकर लंबी अवधि का लॉकडाउन के चलते गांव के दलित, गरीब और मजदूर की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है. भूख और बेकारी हर जगह पसरी हुई है. नगदी का भारी संकट है, क्योंकि पांच- छह महीने से काम धंधा बंद है. जो मजदूर बाहर से आए हैं उनको प्रति महीने 10हजार का बेरोजगारी भत्ता दिया जाए राशन देने के मामले में सरकार की व्यवस्था और भ्रष्टतम स्थिति पर पहुंच गई है. भारी पैमाने पर अभी भी गरीब राशन कार्ड से वंचित हैं. ऐसी स्थिति में गरीबों के सामने भुखमरी का संकट पैदा हो गया है
वहीं उत्तर बिहार बाढ़ की चपेट में आने से संकट पैदा हो गयी है ऐसी स्थिति में बाढ़ पीड़ितों को सरकार रामभरोसे छोड़ दी है. उन्हें 25 हजार कम से कम मुआवजा दिया जाने की मांग करता हु और उन्होंने कहा कि किसान के खिलाफ अध्यादेश जारी किए गये, वहीं नई शिक्षा नीति गरीब विरोधी तैयार किया गया.पूरे देश के छात्र जेईई , नीट का परीक्षा रद्द करने की मांग किया गया सामान्य स्थिति में परीक्षा कराने की मांग देश के हर कोने से उठ रही हैं. लेकिन हठी सरकार सुनने को तैयार नहीं है.
सभा की अध्यक्षता रविंद्र यादव ने की. जबकि सभा को रामकुमार वर्मा एवं नगर परिषद कार्यकारी अध्यक्ष टूना शर्मा ने भी संबोधित किया।10 सूत्री मांग पत्र के साथ प्रदर्शन के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम बीडियो को सौंपा गया. जिसमें प्रवासी मजदूरों को ₹10000 कोरोना लॉकडाउन भत्ता देने, स्वयं सहायता समूह - जीविका समूह सहित केसीसी अन्य छोटे लोन माफ किए जाने, सभी गरीबों - मजदूरों के लिए राशन और रोजगार का प्रबंध करने, मनरेगा मजदूरों को 200 दिन काम ₹500 दैनिक मजदूरी देने, दलित-गरीब विरोधी नई शिक्षा नीति 2020 वापस लिए जाने, बाढ़ पीड़ित परिवारों को 25000 रुपए मुआवजा देने, बचे हुए सभी गरीबों को राशन कार्ड देने संबंधित मांग प्रमुख रूप से थी।भाकपा माले और अखिल भारतीय खेत ग्रामीण मजदूर सभा के नेतृत्व में अरवल जिला के सभी प्रखंड मुख्यालयों पर धरना, प्रदर्शन का कार्यक्रम किया गया।अरवल में माले कार्यालय से भगत सिंह चौक तक जुलूस गया जहां सभा में तब्दील हो गई. उसके बाद स्मार पत्र प्रखंड पदाधिकारी को सौंपा गया।