जिम्मेवारी के बोझ तले सिसकता बचपन मजदूरी करने को है मजबूर

शिक्षा एवं जागरूकता का अभाव,सुधि लेने वाला कोई नही

जिम्मेवारी के बोझ तले सिसकता बचपन मजदूरी करने को है मजबूर
जिम्मेवारी के बोझ तले सिसकता बचपन मजदूरी करने को है मजबूर
प्रिया सिंह की रिपोर्ट/बाढ़-- सरकार द्वारा बाल श्रम निषेध कानून बनाये जाने के बावजूद कई जगहों पर बाल मजदूरी की समस्या बरकरार है। ईंट भट्ठों पर काम करने वाले छोटे-छोटे बच्चे, जिनके हाथों में कॉपी-कलम और किताब होनी चाहिये थी, उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेवारी का बोझ आ पड़ा है। इस बाबत जब मजदूरी कर रहे बच्चों से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि पेट की भूख मिटाने के लिए ये सब करना पड़ता है। इनमें से किन्ही के पिता ठेला चलाने का कार्य करते हैं, तो किन्हीं के पिता ईंट भट्ठों पर काम करते हैं। दु:खद बात यह है कि पूरे परिवार के साथ यह बच्चे भी मजदूरी करने में लगे रहते हैं, जो मानवाधिकारों का हनन प्रतीत होता है। बाल श्रमिकों को मजदूरी करने से मुक्त कराने के लिए प्रशासन को कार्रवाई करने की आवश्यकता है। यह विडंबना ही कही जाएगी कि 21वीं सदी के भारत में भी बाल मजदूरी की समस्या बनी हुई है। हालांकि इस समस्या से निपटने में अभिभावकों का भी योगदान होना चाहिए। हमें लगता है कि उनमें जागरूकता की काफी कमी है, जिसकी वजह से बच्चों को स्कूल नहीं भेज कर काम पर लगा देते हैं। बाल मजदूरी की समस्या को दूर करने में स्वयंसेवी संगठनों की भी अहम भूमिका हो सकती है।

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