बाढ़ एसडीएम सुमित कुमार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम का किया उद्घाटन

Flood SDM Sumit Kumar inaugurated the program organized on the eve of Republic Day

बाढ़ एसडीएम सुमित कुमार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम का किया उद्घाटन

बाढ़-(प्रिया सिंह की रिपोर्ट)-अनुमंडल शहर स्थित सवेरा सिनेमा प्रेक्षागृह में 71 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर अनुमंडलीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।प्रखंड विकास पदाधिकारी अमरेंद्र कुमार सिन्हा के संयोजकत्व एवं डॉ0 विद्यानंद ओजोन इमरजेंसी क्लिनिक बाढ़ की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का विधिवत दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन मुख्य अतिथि सुमित कुमार अनुमंडलाधिकारी बाढ़ ने किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने अनुमाण्डलवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए नृत्य की सभी विधाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए भारतीय संस्कृति से नृत्य के जुड़ाव एवं महत्व पर प्रकाश डाला।उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ कि गणतंत्र दिवस के पूर्व संध्या पर आपलोग ने इतना खूबसूरत सजाया है।गणतंत्र की बात हमलोग कर करेंगे,लेकिन गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आज जो सांस्कृतिक गतिविधियों की तरफ़ इशारा करवा रहा हूँ।की आपलोग सोचे, जब आपलोग घर जाए तो आपको सोचने के लिए मजबूर करे कि आखिर क्या हमने कहा है।

मैं आपको इशारा कर दूं की नित प्रतिदिन हमलोग सांस्कृतिक कार्य में भाग लेते हैं लेकिन अगर हम सांस्कृतिक गतिविधियों के इतिहास का अवलोकन करेंगे तब आपको पता चलेगा कि संस्कृति का उत्पन्न कैसे हुआ है।जिस भारतीय संस्कृति पर हमें नाज था,जिस संस्कृति पर पूरी दुनिया नाचती थी,थिरकती थी।

आज उस संस्कृति का धीरे धीरे पतन होता चला गया और पतन का स्तर कहाँ तक पहुंच गया इसको आप एक उदाहरण से समझ सकते है।नृत्य के बारे में आपलोग सभी जानते हैं।नृत्य का स्वरुप कैसे कैसे बदलता है।भारतीय संस्कृति का जो प्रमुख नृत्य है जिसे हम कथक या भरतनाट्यम कहते हैं।

कथक,भटनाट्यम,कुचीपुड़ी, मणिपुरी येसब भारतीय नृत्य की विधा है।अब एक उदाहरण के रूप में आप देखे की जो कथक नृत्य है,कथक नृत्य को आप एक तरफ देखे और दूसरी तरफ ये कल्पना करे की जब कथक नृत्य चलता है,कोई अगर बिरजू महाराज का नाम जानते होंगे।तो बिरजू महाराज के तबले के थाप पर जब वो धुन बजता है,तब आप देखेंगे कि आपके शरीर का कौन सा अंग हिलता है।नृत्य का परिभाषा है लयबद्ध अंगों का विछेपन।अर्थात अगर कोई भी अंग लयबद्ध तरीके से हिल रहा है।

उसी को नृत्य कहते हैं।हमारा जो मस्तिष्क है उसपर मां सरस्वती विराजमान रहती है।जब कथक नृत्य होता है तो माँ सरस्वती का सिंहासन हिलता है।जब ये नृत्य होता है तो हमारी गर्दन हिलती है अर्थात हमारी जो नृत्य परम्परा है,उसमे मां सरस्वती के सिंहासन को हिलाने की शक्ति है।अतः हमारा कर्तव्य बनता है कि इस पुनीत अवसर पर अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाने का संकल्प लेते हुए गणतंत्र दिवस मनाएं।


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