रिल्स.. रिल्स...रिल्स....और रिल्स,संवेदनशील स्थानों पर और बावर्दी बनाने के प्रचनल से कभी भी उड़ सकती है प्रशासन की नींद और दिन का चैन

महाबोधि मंदिर,कार्य स्थल,मुख्यमंत्री कार्यक्रम के लिए तैयार मंच और विभिन्न जगहों के बारे में आ रही मीडिया की खबरें बनी परेशानी का सबब

रिल्स.. रिल्स...रिल्स....और रिल्स,संवेदनशील स्थानों पर और बावर्दी बनाने के प्रचनल से कभी भी उड़ सकती है प्रशासन की नींद और दिन का चैन

बिहार हेड कुमार ललन की विशेष रिपोर्ट//बिहार/पटना--सुनने में भले ही कौतूहल का विषय लगे लेकिन यह सोलह आने सच है कि रिल्स.. रिल्स...रिल्स....और रिल्स,संवेदनशील स्थानों पर और बावर्दी बनाने के प्रचनल से उड़ सकती है प्रशासन की नींद और दिन का चैन।आज मुंगेर तो कल गया तो कल पटना से जुड़ी आ रही मीडिया खबरें यह सोचने पर जनमानस को मजबूर कर रही है कि आखिर अनुशासन का पर्याय बने पुलिस प्रशासन का यह हाल है तो कभी भी लापरवाही भारी पड़ना लाजमी है।

हालांकि मीडिया में आ रही इस तरह की खबरों की बीएन 24 लाइव न्यूज़ पुष्टि नही करता है।लेकिन जिस तरह से बेबाक टिप्पणियों के साथ ये खबरें मीडिया में प्रकाशित हो रही है।यह अनुशासन परख कर्तव्य को दागदार करने के लिए काफी है।माना कि महिला एवं पुरुष पुलिस पदाधिकारी या कर्मियों का भी अपना व्यक्तिगत जीवन है।लेकिन बावर्दी और कार्यस्थल पर इस तरह के क्रियाकलाप से उनकी अनुशासनहीनता स्पष्ठ परिलक्षित होती है।इस तरह की लापरवाही कभी भी बड़ी घटना का धोत्तक बन सकती है।इसमें कोई शक नही की वरीय अधिकारियों ने उनके इन क्रियाकलापों पर निलंबन के रूप में लगाम लगाने का प्रयास किया है।लेकिन दिन प्रति दिन इस तरह की हो रही घटना परेशानी का सबब न बने इसके लिए सबक रूपी कदम उठाने की जरूरत है।व्यक्तिगत जीवन मे भले ही रिल्स का महत्व हो लेकिन लाइक और फॉलोवर पाने की लालच में एक अनुशासन परख संवेदनशील सेवा में यह दुरुपयोग के साथ ही सोचनीय बिंदु भी है।।।।।।


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