शीतघर नहीं होने से पहचान के लिए रखे जाने वाले लावारिस लाशों का बुरा हाल,वातावरण भी हो रहा दूषित

42 डिग्री के आसपास वाले तापमान में लावारिस लाशों को प्लेटफार्म संख्या एक पर खुले में एक ताबूत में डालकर छोड़ दिया जाता है।

शीतघर नहीं होने से पहचान के लिए रखे जाने वाले लावारिस लाशों का बुरा हाल,वातावरण भी हो रहा दूषित
प्रिया सिंह की रिपोर्ट/बाढ़--दानापुर रेल मंडल के बाढ़ रेलवे स्टेशन पर शीतल घर नहीं होने के चलते अक्सर पहचान के लिए रखे जाने वाले लावारिस लाशों का बुरा हाल और बदबूदार वातावरण देखने को मिल रहा है।हालात यह है कि 42 डिग्री के आसपास वाले तापमान में लावारिस लाशों को प्लेटफार्म संख्या एक पर खुले में एक ताबूत में डालकर छोड़ दिया जाता है। जिसके चलते प्लेटफार्म का वातावरण पूरी तरह से बदबूदार हो जाता है। लावारिस लाश की पहचान के लिए 48 घंटे तक रखने का काम रेल पुलिस को करना पड़ता है।
लेकिन प्लेटफार्म पर शीतल घर नहीं होने के चलते एक ही दिन में लाश से बदबू आने लगता है। वहीं दूसरी तरफ बंद ताबूत में लाश को रखे जाने से उसका चेहरा बाहर नहीं होने के चलते लावारिस लाश की पहचान नहीं हो पाती है। यदि ढक्कन को खोल दिया जाता है तो बदबू आने लगती है।
रेल थानाध्यक्ष बाढ़  तारकेश्वर मिश्र ने बताया कि अथमलगोला स्टेशन के पास एक लावारिस हालत में ट्रेन से कटा हुआ एक लाश मिली थी। जिसे तीसरे दिन भी पहचान के लिए रखा गया है अब उसका दाह संस्कार की व्यवस्था की जा रही है। शीतल घर नहीं होने के चलते काफी परेशानी का सामना विशेषकर गर्मियों के दिन में करना पड़ता है।

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