मानस के मर्म को समझने के लिए तुलसीदास जैसे संत महापुरुष की जरूरत है।-श्रद्धा बाबा

रामचरितमानस सम्पूर्ण मानव जाति का पवित्र ग्रंथ है।--श्रद्धा बाबा

मानस के मर्म को समझने के लिए तुलसीदास जैसे संत महापुरुष की जरूरत है।-श्रद्धा बाबा

प्रिया सिंह की रिपोर्ट//बाढ़--अनुमण्डल के बख्तियारपुर प्रखंड अंतर्गत रानीसराय परमहंस आश्रम के संत श्रद्धा बाबा ने रामचरित मानस के कुछ दोहे और चौपाइयों के बारे में हाल ही में कुछ लोगो द्वारा भ्रांति पूर्ण बातें फैलाये जाने के कारण उपजे विवाद पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि रामचरितमानस हिंदुओं का नही सम्पूर्ण मानव जाति का पवित्र ग्रंथ है।क्योंकि उसमें गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है कि बड़े भाग मानुस तन पावा अर्थात मानव तन बड़े ही भाग्य से मिलता है।इसमे मानव तन का उल्लेख किसी एक जाति वर्ग के लिए नही बल्कि सभी धर्म सम्प्रदाय की मानव जाति के लिए है।श्री राम के मर्यादा पुरुषोतम चरित्र से सम्पूर्ण मानव जाति प्रकाशित हो रही है न कि कोई धर्म विशेष।उन्होंने कहा कि कुछ लोग अल्पज्ञतावश इसपर सवाल उठा रहे है।उन्हें में कहना चाहता हूं कि जिस तरह मरीज के लिए चिकित्सक और ज्ञान के लिए गुरु की जरूरत है।उसी तरह मानस के मर्म को समझने के लिए तुलसीदास जैसे ज्ञानवान संत महापुरुष की जरूरत है।


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