विभीषण जहां सत्य न्याय का प्रतीक है तो कुंभकरण भोग विलास का प्रतीक-संत श्री जयराम जी

महाराज श्री ने जब भय प्रगट कृपाला दीन दयाला। कौशल्या हितकारी। गाया तो श्रद्धालु झूमने लगे

विभीषण जहां सत्य न्याय का प्रतीक है तो कुंभकरण भोग विलास का प्रतीक-संत श्री जयराम जी

प्रिया सिंह की रिपोर्ट/बाढ़-- अनुमंडल के अथमलगोला प्रखंड स्थित ठाकुर पिंडी सुरजपुरा में बजरंगबली की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर चल रहे नौ दिवसीय रामकथा के अंतर्गत राम कथा वाचक संत श्री जयराम जी महाराज ने आज राम जन्म प्रसंग की बड़ी ही मनोहारी चर्चा की। इस प्रसंग के अंतर्गत उन्होंने अनेक भजनों और अन्य कथाओं का सहारा लेते हुए अद्भुत समा बाधा। महाराज श्री ने जब भय प्रगट कृपाला दीन दयाला। कौशल्या हितकारी। गाया तो पूरा पंडाल खड़ा होकर के वंदना करने लगा ।महाराज श्री ने कहा भगवान राम इस धरती के अत्याचार को अंत करने के लिए प्रकट हुए और ऐसाकरके एक ऐसी व्यवस्था हमें प्रदान की जिसमें प्रजा प्रधान थी ।महाराज श्री ने विभिन्न पात्रों के माध्यम से गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज जो कहना चाहते हैं उसका विवरण प्रस्तुत मजबूत दर्शन प्रदान किया। रामायण के विभिन्न पात्र रामराज के  प्रतिपालक हैऔर राम जी उनके संरक्षक  हैं। विभीषण जहां सत्य न्याय का प्रतीक है तो कुंभकरण भोग विलास का प्रतीक ।ऋषि मुनि धर्म को स्थापित करने के लिए संघर्षरत वैसे महापुरुष है। जिनकी आज भी बहुत जरूरत है।आज राम कथा के अंतर्गत गांव के अवकाश प्राप्त शिक्षक नंदू पांडे जी का अभिनंदन किया गया उन्हें अंगवस्त्र से सम्मान हुआ। गांव के अवकाश प्राप्त पुलिस इंस्पेक्टर रामनरेश सिंह एवं श्री लाल देव सिंह का भी सम्मान किया गया। महाराज श्री ने अपने हाथ से करुणानिधान सेवा ट्रस्ट की पट्टीक इस रामकथा के संयोजक सुनील कुमार जी को संत जय राम जी की अपने हाथों से प्रदान की । कथा का मंच संचालन प्रोफेसरसाधु शरण सिंह सुमन ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद के बाढ शाखा अध्यक्ष सतेंद्र प्रसाद सिंह उपस्थित थे।


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