प्रिया सिंह की रिपोर्ट/बाढ़--सरकार के सिस्टम पर सवालिया निशान लगाने वाली यह घटना बाढ़ अनुमण्डल के सदर अस्पताल में घटित हुई है।मानवीय संवेदना को अंदर तक झकझोड़ने वाली इस घटना से अब सवाल यह उत्पन्न होता है कि सिर्फ एंबुलेंस के अभाव में यदि किसी व्यक्ति की जान चली जाती है तो इसका जवाबदेह कौन होगा? व्यक्ति की जान की कीमत से ज्यादा पेट्रोल की कीमत हो गई? क्या स्वास्थ्य विभाग या सरकार द्वारा एंबुलेंस सेवा 102 के ड्राइवर एवं संवेदक के ऊपर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए? जब इस प्रकार से किसी की जान चली जाती है, तो सरकार के सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा होना स्वाभाविक ही है।
ज्ञात हो कि बेलछी तथा सकसोहरा के बीच एनएच पर जा रही बोलेरो गाड़ी के टायर फटने से गाड़ी पलट गई, जिसमें ड्राइवर सहित 3 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। आनन-फानन में इलाज के लिए तीनों को बाढ़ के सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक जख्मी व्यक्ति, जिसका नाम धीरेंद्र कुमार बताया जाता है, उसके अतिगंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने पटना पीएमसीएच रेफर किया था,लेकिन उस वक़्त कोई भी एंबुलेंस मौजूद नही था।
एंबुलेंस सेवा 102 पर जब कॉल किया गया, तो एंबुलेंस के ड्राइवर ने बताया कि एंबुलेंस गाड़ी में तेल नहीं है। उसे तेल भराने का वास्ता भी दिया गया, लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंच पाया, जिसके कारण गंभीर रूप से जख्मी धीरेंद्र कुमार की मौत हो गई। मृतक बख्तियारपुर का निवासी बताया जाता है। वहीं फिलहाल दो अन्य घायलों का इलाज बाढ़ के अनुमंडलीय अस्पताल में चल रहा है।
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