शेखपुरा से शुद्धिकरण स्नान हेतु आये एक ही परिवार के 4 सदस्य उमानाथ घाट पर गंगा नदी में डूबे

आरोप-उमानाथ के घाट पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से किसी प्रकार के उपाय प्रशासन के द्वारा नही किए जा रहें हैं।

शेखपुरा से शुद्धिकरण स्नान हेतु आये एक ही परिवार के 4 सदस्य उमानाथ घाट पर गंगा नदी में डूबे
शेखपुरा से शुद्धिकरण स्नान हेतु आये एक ही परिवार के 4 सदस्य उमानाथ घाट पर गंगा नदी में डूबे
प्रिया सिंह की रिपोर्ट//बाढ--शहर के उमानाथ मंदिर गंगा घाट पर बुधवार को बरबीघा से शुद्धिकरण स्नान के लिए आए चार लोग स्नान करने के क्रम में गंगा नदी में डूब गए।शुद्धिकरण स्नान के लिए परिवार के कुल 22 लोग वाहन रिजर्व करके बाढ़ के उमानाथ मंदिर आए थे। एक-एक करके चारों डूबते रहे और लोग देखते रहे। किसी भी व्यक्ति ने गंगा नदी की तेज धारा में डूब रहे शख्स की जान बचाने की हिम्मत नहीं की।क्योंकि उनके पास संसाधनों की कमी थी। इस प्रकार एक एक करके सभी गंगा नदी में समाहित हो गए। चारों के डूबने की खबर पूरे इलाके में आग की तरह फैल गई और आसपास के लोग वहां हजारों की संख्या में जमा हो गए। स्थानीय लोगों के द्वारा पुलिस को सूचना दी गई। सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और डूबने वाले शख्स की तलाश शुरू कर दी। खबर लिखे जाने तक किसी का अता पता नहीं चल पाया था। एक ओर प्रशासन डूबने वाले लोगों के शरीर को खोजबीन करने में जुटी है, वहीं परिवार वालों के बीच कोहराम मचा हुआ है तथा उनका रो-रोकर बुरा हाल है।
बता दें कि स्थानीय लोगों के शिकायत है कि उमानाथ के घाट पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से किसी प्रकार के उपाय प्रशासन के द्वारा नही किए जा रहें हैं। उनका कहना है कि उमानाथ के घाट पर भी हरिद्वार, प्रयागराज और बनारस की तरह ही जंजीर का बैरिकेटिंग लगाकर पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए और स्थाई रूप से एक बचाव दल की टीम, चाहे वह एसडीआरएफ की टीम हो या एनडीआरएफ की,यहां पर व्यवस्था की जानी चाहिए।विदित हो कि पिछले कुछ दिनों में दर्जनों लोग गंगा नदी में डूबने के शिकार हो चुके हैं। हालांकि प्रशासन द्वारा हिदायत दी गई है कि सावधानी पूर्वक स्नान करें और गहरे पानी में नहीं जाए, लेकिन दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को इस बात का पता नहीं होता है कि कहां पर कितना गहरा पानी है और धोखे से गहरे पानी में चले जाते हैं।जिसके कारण डूबकर उनकी मौत हो जाती है।
बता दें की जिस तरह से लोग डूब रहे है, उसे बचाने के लिए काफी समय था। यदि घाट पर एसडीआरएफ या एनडीआरएफ की टीम होती तो निश्चित रूप से चारों को बचाया जा सकता था।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार काफी देर तक पानी में वे लोग अपनी जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे।अतः जरूरत है बाढ़ नगर प्रशासन की ओर से जल्द से जल्द उमानाथ घाट पर कोई सुरक्षात्मक व्यवस्था की ओर ध्यान देने की, ताकि गंगा में डूबते हुए लोगों की जान बचाई जा सके।इससे पुलिस तथा अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों की समय की भी बचत होती और फजीहत भी नही होती।
हालांकि स्थानीय पूर्व पार्षद संजू देवी ने बताया कि पिछली बार कुछ स्थानीय लड़कों ने डूबते हुए दो शख्स की जान बचाई थी, जिसके बाद बचानों वालों के साथ ही मारपीट के गयी। इसलिए इस बार कुछ स्थानीय लोग उसे बचाने के लिए नहीं कूदे। हालांकि कुछ लोगों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। बता दें कि डूबने वाले लोग शेखपुरा जिला के बरबीघा के रजौला गांव के हैं। डूबने वाले शख्स मुकेश कुमार के भाई प्रमोद कुमार ने बताया कि मां के मृत्यु के बाद श्राद्ध क्रिया पूर्ण होने के बाद शुद्धिकरण के लिए गंगा स्नान के बाद मंदिर में पूजा पाठ करने हेतु आए थे। उन्होंने बताया कि पहले जब उनकी 17 वर्षीय भतीजी आभा जब डूबने लगी, तो उनके पिता, भाई व उसकी मां तीनों बचाने के लिए गए थे, परंतु वो भी उनके साथ साथ डूब गए।सबसे ज्यादा दुःखद बात ये है कि डूबने वाले सभी शख्स 40 वर्षीय मुकेश, 26 वर्षीय आभा जो नर्स थी, 16 साल की सपना जो पिछले साल 10वीं की परीक्षा दी थी तथा 15 वर्षीय हर्ष, जो नौवीं कक्षा का छात्र था, एक ही परिवार के थे।

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