रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त-जाने भद्रा का वास कब होगा पाताल लोक-ज्योतिष गणना के अनुसार जानें मुहूर्त!!

शास्त्रों में राखी बांधने का सबसे अच्छा समय दोपहर को बताया गया है। जिसमें भद्रा का साया न हो।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त-जाने भद्रा का वास कब होगा पाताल लोक-ज्योतिष गणना के अनुसार जानें मुहूर्त!!
रक्षाबंधन विशेष--/नूतन त्रिपाठी की रिपोर्ट/दिनांक12अगस्त2022शुक्रवार को पूर्णिमा प्रातः7/17तक है। जो तीन मुहूर्त से कम होने के कारण ज्योतिष शास्त्र और निर्णय सिंधु आदि के निर्णयानुसार ग्राह्य नही है। और ऐसी स्थिति में एक दिन पूर्व ही रक्षाबंधन पर्व मनाने का शास्त्रीय निर्णय है।
अर्थात 11अगस्त गुरुवार को ही रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा। जहाँ तक बात भद्रा की है, तो ज्योतिष शास्त्र की जानकारी रखने वालों को पता है , कि11अगस्त को मकर राशि का चंद्रमा है । जिसमें भद्रा पाताल में निवास करती है , और जहाँ भद्रा निवास करती है, वहीं अपना प्रभाव दिखाती है ,न कि दूसरी जगह।
पुनःच प्रतिपदा युक्त पूर्णिमा में रक्षाबंधन का निषेध है । जिसके कारण शास्त्रीय निर्णय के अनुसार 11अगस्त गुरुवार को ही संपूर्ण भारत में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाएगा।
मुहूर्त
अन्य ज्योतिष गणना के अनुसार भी 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त बताया जा रहा है। पंचांग गणना के अनुसार चंद्रमा जब भी कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में भ्रमण करते हैं। तब भद्रा का साया पृथ्वी पर होता है। वहीं चंद्रमा जब मेष,वृषभ और वृश्चिक राशि की यात्रा करते हैं, तो भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। चंद्रमा जब कन्या, तुला ,धनु और मकर राशि में हों तो भद्रा का वास पाताल लोक में होता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा जब स्वर्ग या पाताल लोक में निवास करती हैं । तब बुरा प्रभाव नहीं रहता है। ऐसे में 11 अगस्त को भद्रा का वास पाताल लोक में रहने के कारण इसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाना चाहिए।
 
 
 
 
 
 
 
मुहूर्त गणना के अनुसार 11 अगस्त को सुबह 11 बजकर 37 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। 11 अगस्त,गुरुवार को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट पर विजय मुहूर्त रहेगा। इस तरह से भद्राकाल के रहते इस समय राखी बांधी जा सकती है। इसके अलावा रात 08 बजकर 51 मिनट पर भद्रा खत्म हो जाएगी। ऐसे में इस दौरान राखी बांधी जा सकती है। हालांकि शास्त्रों में राखी बांधने का सबसे अच्छा समय दोपहर को बताया गया है। जिसमें भद्रा का साया न हो।

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