प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी हो तो करें अपान मुद्रासन--प्रो० साधु शरण सिंह सुमन
If you want to increase immunity then do Apana Mudrasana - Prof. Sadhu Sharan Singh Suman
बाढ़--(प्रिया सिंह की रिपोर्ट)--अनुव्रत विश्वभारती राजसमंद राजस्थान द्वारा संचालित अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र बाढ़ द्वारा कोरोना काल में संचार के विविध माध्यमों से जीवन विज्ञान प्रेक्षा ध्यान योग के प्रयोग जरूरतमंद लोगों को लगातार बताया जा रहा है। प्रयोग सिखाने की छोटी-छोटी कार्यशालाएं भी बराबर चल रही है। इसी क्रम में आज रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अपान मुद्रा का प्रयोग सिखाया गया।
केंद्र के मुख्य प्रशिक्षक प्रो० साधु शरण सिंह ने बताया कि प्रेक्षा प्रणेता मानवता के मसीहा पूज्य गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञ ने रोगी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के संदर्भ में मुद्रा प्रयोग के अंतर्गत अपान मुद्रा और प्राण मुद्रा के अभ्यास की प्राथमिकता दी है।यह प्रयोग हर उम्र का व्यक्ति तथा बीमार भी कर सकता है।
अपान मुद्रा की विधि- मध्यमा एवं अनामिका उंगलियों के शीर्ष भाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिला दे। शेष दोनों उंगलियां बिल्कुल सीधी रखें। योग की भाषा में पृथ्वी तत्व आकाश तत्व और अग्नि तत्व के मिलने से यह मुद्रा बनती है। इसी मुद्रा से तेजस केंद्र स्वास्थ्य केंद्र शक्ति केंद्र सहित घुटना एवं पैर भी प्रभावित एवं सक्रिय हो जाता है।यह मुद्रा प्रतिदिन 30 से 45 मिनट तक सुबह शाम या अपने सुविधानुसार किया जा सकता है।
अपान मुद्रा से लाभ-इस प्रयोग को अपने दैनिक रूटीन से जोड़िए।यह शरीर के अंदर के टॉक्सिन को बाहर निकालने और शरीर के अंदर के भाग को स्वच्छ करने का काम बेहतरीन ढंग से करता है।यह शरीर के अंदर सफेद रक्त कणों का निर्माण करता है।पसीना आने की क्रिया को यह मुद्रा बढ़ा देती है,जिससे शरीर के भीतर की गर्मी बाहर निकलने लगती है।पैरों का जलन भी इससे दूर होता है।यह मुद्रा पेट के सभी विकारों विशेषकर डायरिया उल्टी जी मिचलाना आदि को दूर करती है।हाई बीपी श्वास के रोग पेशाब संबंधी रोग कब्ज एवं लिवर के लिए भी उपयोगी हैं। शुगर रोग पीलिया अनिद्रा अस्थमा आदि में अपान मुद्रा उपयोगी है। यह मुद्रा आदमी को अंदर से सबल बनाती है। आज रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास प्रयोग क्रम में अनेक शिक्षक एवं छात्र जुटे।आभार ज्ञापन भारत विकास परिषद अध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने किया।
Click Here To Read More