बैंक के कथित बिचौलियों ने बैंक ऑफ़ इंडिया के गोल्डन लोन घोटाले मामले में गरीबों को बनाया था मोहरा

लेकिन रैकेट का मुख्य सरगना को पकड़ने के प्रति कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।

बैंक के कथित बिचौलियों ने बैंक ऑफ़ इंडिया के गोल्डन लोन घोटाले मामले में गरीबों को बनाया था मोहरा
पटना--जिला अंतर्गत बाढ़ अनुमंडल के बैंक ऑफ़ इंडिया के कई शाखा में गोल्डन लोन के नाम पर करोड़ों की हेरा फेरी की गई। जिसको लेकर इन दिनों जांच की प्रक्रिया चल रही है।और कई बैंक कर्मी अपनी नौकरी बचाने के फिराक में जुटे हुए हैं।बुधवार के दिन बैंक ऑफ़ इंडिया के कार्यालय में कई लोगों को बुलाकर उससे बातचीत की गई।इस मामले में गुलाब बाग चौक की महिला उषा देवी और उसके पति उपेंद्र साव ने भी बैंक पहुंचकर अपना दलील पेश किया।पीड़ित ने बताया कि बालीपुर मोहल्ले की एक महिला एनजीओ चलाती है।उसी के द्वारा कई लोगों को बहला फुसला कर गोल्डन लोन के नाम पर अपने खाता का उपयोग करने की एवज में मोटी रकम देने का प्रलोभन भी दिया था।उपेंद्र ने बताया कि महिला के द्वारा उसके बैंक खाता का उपयोग करते हुए सोना जमा करवाया गया। और करीब 12 लाख रुपए का लोन भी निकल गया। लोन निकालने के साथ ही उपेंद्र और उसकी पत्नी उषा के बैंक अकाउंट से सारे पैसे महिला के द्वारा दूसरे अकाउंट में भेज दिया गया और उपेंद्र के अकाउंट में महज ₹3000 छोड़े गए।उपेंद्र के मुताबिक इस पूरे खेल में बैंक के मैनेजर कर्मचारी बैंक के दलाल, सोने की गुणवत्ता जांच करने वाला सोनार और कई तेज तर्रार महिलाएं शामिल है।उनके द्वारा इलाके के कई गरीब परिवार को इस तरह का प्रलोभन देकर बैंक से ठगी की गई और पैसे की बंदरबांट की गई।मामला जब प्रकाश में आया तो सभी लोग अपना पल्ला झाड़ने लगे और गरीब को पुलिस उठकर थाना ले जाकर पूछताछ करने का काम किया और छोड़ने के नाम पर मोटी रकम वसूली गई। लेकिन रैकेट का मुख्य सरगना को पकड़ने के प्रति कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है।

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