प्रिया सिंह की रिपोर्ट/बाढ--नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 13 गौरी शंकर घाट निवासी स्वर्गीय जितेंद्र महतो का परिवार आज दाने-दाने को मोहताज है। परिवार का इकलौता कमाने वाला व्यक्ति जितेंद्र महतो पिछले वर्ष 16 अगस्त को घर के पास ही गौरी शंकर गंगा पर स्नान करने के दौरान डूब गया था।अगले दिन लाख मशक्कत के बाद मृतक की लाश नदी से बाहर निकाली गई थी। लाश का पोस्टमार्टम कराए जाने के साथ-साथ सभी प्रकार की प्रक्रिया किए जाने के बाद जितेंद्र महतो की पत्नी शोभा देवी ने सरकार से आपदा प्रबंधन के तहत मिलने वाली ₹400000 की मुआवजा के लिए आवेदन करने का काम किया था।
लेकिन बाढ़ अंचल कार्यालय की लापरवाही और परेशान करने वाली नीति के चलते आज तक परिवार को आपदा प्रबंधन के तहत मिलने वाला लाभ नहीं मिल पाया है।कई बार कार्यालय के कर्मचारी को प्रमाण पत्र और कागजात मुहैया कराने के बावजूद भी पीड़ित परिवार को मुआवजा नहीं मिल पाया है।वार्ड की महिला वार्ड पार्षद ज्योति चौधरी ने बताया कि कई बार उनके द्वारा भी पहल की गई लेकिन विभागीय कार्रवाई के बारे में आज तक कोई सकारात्मक जानकारी नहीं दी गई।
मामले को लेकर अंचलाधिकारी जितेंद्र कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने सरकारी प्रोसेस के चलते लेट होने की बात कही जबकि अक्सर यह देखा जाता है कि घटना घटित होने की माह 2 माह बाद पीड़ित परिवार को मुआवजा राशि मिल जाती है मुआवजा नहीं मिलने के चलते परिवार का भरण पोषण मृतक की पत्नी शोभा देवी दूसरे के घर बर्तन धोने का काम करके अपने चार बाल बच्चों को पाल रही है लेकिन कभी-कभी भूखे रहने की भी नौबत आ जाती है पीड़ित महिला ने बताई की सबसे ज्यादा कठिनाई बच्चों को पढ़ाने लिखाने में होती है जब भरपेट बच्चों को भोजन ही नहीं मिल पाता है तो पढ़ाई का खर्च कहां से जुटा पाऊंगी सरकार के द्वारा अगर कुछ भी सहायता मिल जाती तो आज बच्चों को भूखे रहने की नोबत नहीं आती।
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