कोरोना के इस काल मे संसाधन और साधन नही, बल्कि साध्य से झूझ रहा भारत।

कोरोना #के इस काल मे# संसाधन और साधन नही, #बल्कि साध्य से# झूझ रहा भारत#

कोरोना के इस काल मे संसाधन और साधन नही, बल्कि साध्य से झूझ रहा भारत।
कुंदन पांडेय /  संसाधन और साधन नही, बल्कि साध्य से झूझ रहा भारत, यह बात कहने में कोई अतिसयोक्ति नही होना चाहिए। यही सत्य है। हमारे देश मे कोई भी चीज का महत्व तब समझा जाता है, जिस समय उसकी जरूरत महशुस होती है, अथवा जरूरत पड़ती है, जरूरत नही पड़ने पर वह वस्तु को ऐसे छोड़ दिया जाता है, जैसे बिना मा, बाप के पुत्र, हम ऐसा वयंग इसलिए दे रहे है, ये आपको गंभीरता के सोचने को विवश करे।
 
आज हमारे देश भारत मे कोई चीज की कमी नही है, केवल कमी है, तो साध्य की, साध्य का मतलब निशाना, किसी सामान को उपयोग करने की उत्तम कला या जानकारी, या समर्पण भाव से किया गया काम भी साध्य में परिवर्तन हो जाता है। शायद  आप मेरे मतलब  को समझ गए होंगे।
 
विदेशो से मिली सहायता 
 के बाद भी हम उसका उपयोग समय से नही कर पा रहे है, जो हमारी केंद्र सरकार  या राज्य सरकार के कमजोर साध्य को दर्शाता है। आज भारत के लोग हॉस्पिटल में बेड के लिए तरस रहे है, तो दूसरी तरफ कई जगहों से खबर आ रही है कि पिछले साल बने covid hospital जिसमे bed, ऑक्सीजन, मॉनिटर, वेंडिलेटर, बंद हॉस्पिटल में धूल खा रहे है। यह सहरसा की बात है। जो सरकार के साध्य को साफ दर्शाती है, की सरकार की मंसा क्या है। 
 
भष्ट नेता के लाचार सिस्टम बेबस अधिकारी
 
नेता के द्वारा बनाया गया कोई भी सिस्टम भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं है , लाचार सिस्टम और बेबस अधिकारी, हम इसलिए कह रहे हैं की अधिकारी बार-बर
सरकार को सुविधाओं से लाचारी का दर्शन करता है, पर सरकार के थेथरई के आगे सब लाचारी चार दीवार के कमरो में बंद है। जिसका उदाहरण छपरा में मिले दर्जनों एम्बुलेंस के तौर पर देख सकते है, जिसका खुलासा पप्पू यादव ने किया। आज के समय मे लोग एम्बुलेंस के लिए दर दर भटक रहे है, और  राजीव प्रताप रुड़ी संसद महोदय  दर्जनों एम्बुलेंस इस तरह रखे है,जैसे याद ही नही की मेरे यहाँ एम्बुलेंस भी है , शायद जब कोई चीज अपनी मेहनत की कमाई का रहता तो याद रहता।
 संसद महोदय क्या आप बता पायेगे इस एम्बुलेंस का उपयोग कब करेगे। ड्राइवर का बहाना और लेटर बम फोड़कर , और पप्पू यादव पर जुवानी हमला कर आप जनता को टोपी नही पहना सकते है, हो सके तो जनता के टोपी पहनाने का प्रयास इस बार उल्टा न पर जाए।
इस घटना के बाद नेताओ की मानसिकता साफ दर्शाती है , जिसे आप भी समझ गए होंगे। कि अपना काम बनता ,मरे चाहे जिये जनता।
तो आप समझ गए होंगे कि खबर कोरोना के इस काल मे संसाधन और साधन नही, बल्कि साध्य से झूझ रहा भारत।
 

Click Here To Read More

What's Your Reaction?

like
1
dislike
0
love
2
funny
0
angry
0
sad
0
wow
1