बाढ़ की विभीषिका: प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश पंचायत हुए जलमग्न, सम्पर्क सड़क बंद।

बाढ़ की विभीषिका: प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश पंचायत हुए जलमग्न, सम्पर्क सड़क बंद।

सारण(कन्हैया कुमार सिंह की रिपोर्ट)--मशरक प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में बरसात के पानी से फसले डूब चुकी है।वही 10 पंचायत में बाढ़ के उफनते पानी से हजारों घर डूब चुके हैं। और हजारों लोग ऊंचे स्थान या सड़कों के किनारे रहने को मजबूर हो गए हैं।वही कर्ण कुदरिया व चांद कुदरिया पंचायत के सभी वार्ड पहले से ही जल मग्न है।उस पंचायत में तो घरों के छतों तक बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है। अरना पंचायत के अरना, बलुआ, बारोपुर, छपियां तथा बहरौली पंचायत में बाढ़ के पानी ने कई संपर्क पथ को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर आवागमन को बाधित कर दिया है।इन गांवों का संपर्क प्रखंड सहित अन्य इलाकों से टूटने के लोगों के आने जाने और प्रशासनिक राहत बचाव नहीं पहुंचने से लोग हताश व परेशान हैं। दुर्गौली के चांद बरवा, देवरिया,  डुमरसन, मसरख पश्चिमी पंचायत के सियरभुका, शास्त्री टोला, बेन छपरा, पश्चिम टोला, पूर्वी पंचायत के तख्त गांव पूरब सरेह, बंगरा चौहान टोला, बंगरा पूरब टोला, हांसाफिर, चैनपुर, चरिहारा, कवलपुरा पंचायत के एकावना, बहादुरपुर, कवलपुरा के ग्रामीण सड़क सहित कई घर पानी में डूब गए हैं। बाढ़ के पानी से घिरे  लोगों को सरकारी राहत का भी इंतजार है। अरना व बहरौली पंचायत के गांवों की बदतर स्थिति का जायजा डीएम ने चार दिन पहले लिया और शीघ्र राहत उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया। लेकिन निर्देश के बाद भी कर्णकुदरियां व चांदकुदरियां पंचायत को छोड़ अन्य जगह राहत व बचाव कार्य अब तक शुरू नहीं किया जा सका है।पीड़ितों को तिरपाल, पाॅलिथिन नहीं मिलने से वे खुले छत पर गुजर बसर कर रहे हैं। इधर मशरक-सतरघाट स्टेट हाईवे-90 पर चैनपुर के पास बाढ़ के पानी से सड़क टूटने के कारण बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है। पैदल लोग लाठी के सहारे लोग आ जा रहे हैं।वही अपर समाहर्ता डाँ गगन ने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में घरों में पानी प्रवेश करने पर जो भी लोग ऊंचे स्थानों या हाइवे सड़क किनारे रह रहे हैं उन्हें तिरपाल दी जा रही है और खाने के लिए सामुदायिक किचेन की भी व्यवस्था की जा रही है।अभी तक दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर सामुदायिक किचन सेन्टर खुल कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही है। जिसमें तीस हजार की संख्या में लोग भोजन कर रहे हैं।वही पीने के लिए चापाकल लगाएं जा रहें हैं वही बाढ़ के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऊंचे स्थानों पर ही सुविधाओं को शुरू करने की कोशिश की जा रही है। और लगातार क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है। मेडिकल टीम हर क्षेत्र में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है।

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